Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2016

हमदर्द..हमसफ़र..ए ज़िन्दगी!

 दर्द भी तुम्ही देते हो, और हमदर्द भी खुद ही बनते हो रास्ते में कांटे खुद ही बिछाकर , हमसफ़र बन साथ चलते हो  जहाँ  हर रिश्ते मतलबी हो, वहां ज़िन्दगी एक तुझपे ही तो ऐतबार है शिकवा नहीं तुझसे कोई क्योंकि  ज़ख्म अगर देते भी हो, तो उसपे मरहम भी तुम ही लगाते हो!! -सरिता  Dated - 27th July 2016