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Showing posts from September, 2015

ख्वाहिश गुमनाम सी..

वक़्त के बिखरे लम्हे समेटते रह गए तेरी परछाई से मेहरूम रास्तों पर भटकते रह गए गुमनामी में इस क़दर हम खो गए की अपनी ही पेहचान को ढूंढ़ते रह गए जीते तो आज भी है हम उन यादों के सहारे तुम्हारी  बचपन की खिलखिलाहट बसी जिनमें है लौटना चाहती है ममता उन गलियों में फिर से जहां हर कदम पर हाथ हमारा थामते तुम थे इंतज़ार आज भी है इन निगाहों को कपकपाते हाथ ढूंढ़ते आज भी वो सहारा है ज़िन्दगी के दौड़ में जो उलझ के रह गए उस रिश्ते की ख्वाहिश आज भी इन धड़कनों को है ... -सरिता  Dated 21st Sep 2015 (Dedicated to my mom on her birthday.)

एक ठहराव एक आशियाना।।

एक अजब सी सुकून है उस हवा में एक हल्की सी मुस्कान लाती वो फ़िज़ा है एक ठहराव जिसकी ज़िन्दगी को ज़रुरत है From the top of Torrey's Peak - 14,267 Feet एक पल का वो आशियाना है उस मंज़िल में जो मंज़र नज़र आता उस ऊंचाई से है पेहचान करवाता हमें खुद से है वो जो कईं सवाल करता रेहता हमारा मन है हर उन शिकायतों का समाधान है नज़ारा वो जब उड़ते बादल छूके निकलती है हमें जब डूबता सूरज चमकता इन आँखों में है जब पर्वत की ऊंचाई से मुस्कुराती धरती नज़र आती हमें जब सरसराती हवा लहराती इन ज़ुल्फ़ों में है तब ज़िन्दगी से प्यार एक बार फिर से जागती इन धड़कनों में है…   -सरिता  Dated: 12th September 2015 ( Trying to capture my feeling on top of a 14,270 ft mountain peak(Gray's Peak). My tribute to one of my most arduous hike till date; covering twin 14ers - Gray's and Torrey's Peak)