अम्मा , आज सोचा की लिख ही डालूँ एक छोटी सी अर्ज़ी तेरे नाम . तुझसे अक्सर कहती हूँ ना मैं कि ना कर इतनी फ़िक्र मेरी तेरे अनगिनत सवालों से छिड़ती भी हूँ पर मन ही मन मैं घबराती हूँ अगर तूने मेरी चिंता सच में छोड़ दिया तो मेरा क्या होगा ? ना कोई ऐसा रिश्ता बना आज तक जो तेरी जगह ले पाया और ना ही कोई ऐसा आगे भी होगा तेरी आदत सी हो गयी है , अम्मा तो , मेरे लाख मना करने पे भी तू मुझे लाड़ करना मत छोड़ना फिर चाहे में हज़ार दफ़ा...
There is an inner self to everyone. You might speak, speak a lot; but yet there would be so many things unsaid, so many thoughts not shared, so many emotions hidden; well, here I am - where my silence speaks...