फिर मिलने की चाह में गुज़री ये एक शाम और सही
जुबां पे कुछ और नज़रों में कैद है अलफ़ाज़ कुछ और सही
इस शहर में वो एक अजनबी और सही
बेईमान धड़कनों की एक साज़िश और सही
बरसात की बूंदों में घुला एक किस्सा और सही
शब् में खोया वो एक सितारा और सही
उस अजनबी से जुड़ा एक एहसास और सही
इन लफ़्ज़ों की जाल में बुना एक जस्बात और सही
Dated - 1st June 2018
जुबां पे कुछ और नज़रों में कैद है अलफ़ाज़ कुछ और सही
इस शहर में वो एक अजनबी और सही
बेईमान धड़कनों की एक साज़िश और सही
बरसात की बूंदों में घुला एक किस्सा और सही
शब् में खोया वो एक सितारा और सही
उस अजनबी से जुड़ा एक एहसास और सही
इन लफ़्ज़ों की जाल में बुना एक जस्बात और सही
Dated - 1st June 2018
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