इंतज़ार है, हाँ,इंतज़ार है..
सेहर के उस एक किरण का इंतज़ार है
जो हमें ऐसे छु के गुज़रे
की मन्न के सारे गिले शिक़वे मिट जाये।
ज़ेहन को उस हमनशीं का इंतज़ार है
जो ऐसे उतरे दिल के शीशे में
की गुज़रे हुए वक़्त की बुरी तस्वीरें हट जाये।
चाँद के उस नूर का इंतज़ार है
जो रूह को ऐसी ठंडक दे
की सदियों से जलती शमा भुज जाये।
नहीं इंतज़ार किसी फ़रिश्ते का क्यूंकि यतीम हम नहीं
नहीं इंतज़ार किसी जाँबाज़ का क्यूंकि कमज़ोर हम नहीं
नहीं इंतज़ार किसी सहारे का क्यूंकि बेसहारा हम नहीं
हाँ पर इंतज़ार है उस पल का
जब ज़िन्दगी खुलके जीने का मौका मिले
जब गम खौफ्फ़ खफा दुश्मनी जैसे कोई जस्बा हमें छु न सके
बस उस सुकून के पल का इंतज़ार है।
इंतज़ार है, हाँ,इंतज़ार है ..
-सरिता
३ नवंबर २०१४
(I captured this pic while on Chicago's Brooklyn Bridge. The 2 of them looked so peaceful and relaxed that I could not miss this click! :) )
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