कुछ ख्वाब ऐसे थे जो हकीकत को गुमराह कर गए
कुछ साथी ऐसे थे जो राह चलते अकेले छोड़ गए
कुछ मंज़िल ऐसे थे जो अपना रास्ता बदल गए
कुछ मोड़ ऐसे थे जो माझी से जुदा कर गए
कुछ लम्हे ऐसे थे जो यादों के शीशे में कैद होते गए
कुछ जश्न ऐसे थे जो अपने पीछे आँखों में पानी छोड़ गए
कुछ फासले ऐसे थे जो अपनों को दूर और परायों को अपना कर गए
कुछ लफ्ज़ ऐसे थे जो बस आखों से बयान कर गए
कुछ उम्मीदे ऐसे थे जो आज जीने का सहारा बन गए
- सरिता
Dated - 25th February 2017
कुछ साथी ऐसे थे जो राह चलते अकेले छोड़ गए
कुछ मंज़िल ऐसे थे जो अपना रास्ता बदल गए
कुछ मोड़ ऐसे थे जो माझी से जुदा कर गए
कुछ लम्हे ऐसे थे जो यादों के शीशे में कैद होते गए
कुछ जश्न ऐसे थे जो अपने पीछे आँखों में पानी छोड़ गए
कुछ फासले ऐसे थे जो अपनों को दूर और परायों को अपना कर गए
कुछ लफ्ज़ ऐसे थे जो बस आखों से बयान कर गए
कुछ उम्मीदे ऐसे थे जो आज जीने का सहारा बन गए
- सरिता
Dated - 25th February 2017
Comments
Post a Comment