दुनिया के किसी कोने में , ज़िन्दगी के किसी मोड़ पे
अगर गुज़रेंगे एक दुसरे के करीब से
तो क्या मुस्कुरा पाएंगे तुम भी हम भी?
क्या आँखों में उन ज़ख्मों की कड़वाहट होगी
या होंटो पे खूबसूरत यादों की मुस्कराहट ?
क्या माथे पे शिकवों की शिकंज होगी
या साँसों में तुम्हारे प्यार की मेहेक ?
क्या रूठकर मुँह मोड़ लेंगे एक दुसरे से
या दुनिया जहाँ भूलकर सीने से लगा लेंगे ?
क्या अजनबियों की तरह नज़रें चुरायेंगे
या पुराने दोस्त जैसे हाल चाल पूछेंगे ?
बरसों से जस्बात जो दबी है सीने में
अगर गुज़रेंगे एक दुसरे के करीब से
तो क्या मुस्कुरा पाएंगे तुम भी हम भी?
क्या आँखों में उन ज़ख्मों की कड़वाहट होगी
या होंटो पे खूबसूरत यादों की मुस्कराहट ?
क्या माथे पे शिकवों की शिकंज होगी
या साँसों में तुम्हारे प्यार की मेहेक ?
क्या रूठकर मुँह मोड़ लेंगे एक दुसरे से
या दुनिया जहाँ भूलकर सीने से लगा लेंगे ?
क्या अजनबियों की तरह नज़रें चुरायेंगे
या पुराने दोस्त जैसे हाल चाल पूछेंगे ?
बरसों से जस्बात जो दबी है सीने में
वो क्या रंग दिखाएंगे नहीं जानते हम
नहीं जानते हम की कैसा होगा वो लम्हा
जब अधूरे मुहोब्बत के प्यादे एक दूसरे से टकराएंगे ...
-सरिता
Dated - 5th November 2017
Greetings from the UK.
ReplyDeleteThank you. Love love, Andrew. Bye.
Remarkable!
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