कमरे की सफाई में एक बक्सा मिला
धूल की चाद्दर ओढ़के अलमारी के ऊपर
सोचती रही की आखिर क्या है इसमें
खोला तो चंद लम्हों के लिए साँसे रुक सी गयी
लम्बी सी सांस ली मैंने आँखें बंद कर
उस धूल में घुलकर वो पुरानी यादों की खुशबू
सीधे ले गए मुझे भूले गलियों में
आखें खुली तो हलके से नम थी
होंठों के किनारे हलकी सी मुस्कराहट
उस बक्से में ज़िन्दगी के वो लम्हे कैद थे
जो मैं वक़्त की दौड़ में कहीं भूल गयी थी
वो बस की टिकट आधी
वो गुलाब के पंखुड़ी सूखे से
वो खत जिसकी स्याही उझडी
वो तस्वीर जिसके रंग उड़े से
पता नहीं क्या था वो
प्यार या बचपना
आवारगी या आशिकी
जो भी था हसीन था
अगर कोई याद बरसों बाद भी इतनी ताज़ा हो
की चेहरे पे हँसी और आँखों में नमी लाये
दिल में अजब सी बेचैनी के साथ
एक अलग सा सुकून लाये
वो पल भले ही हकीकत से हार गए
पर यादों के ज़रिये खुशियां देकर
आज साबित कर गए की
हकीकत से भी ज़्यादा सच्चे है वो एहसास
धूल की चाद्दर ओढ़के अलमारी के ऊपर
सोचती रही की आखिर क्या है इसमें
खोला तो चंद लम्हों के लिए साँसे रुक सी गयी
लम्बी सी सांस ली मैंने आँखें बंद कर
उस धूल में घुलकर वो पुरानी यादों की खुशबू
सीधे ले गए मुझे भूले गलियों में
आखें खुली तो हलके से नम थी
होंठों के किनारे हलकी सी मुस्कराहट
उस बक्से में ज़िन्दगी के वो लम्हे कैद थे
जो मैं वक़्त की दौड़ में कहीं भूल गयी थी
वो बस की टिकट आधी
वो गुलाब के पंखुड़ी सूखे से
वो खत जिसकी स्याही उझडी
वो तस्वीर जिसके रंग उड़े से
पता नहीं क्या था वो
प्यार या बचपना
आवारगी या आशिकी
जो भी था हसीन था
अगर कोई याद बरसों बाद भी इतनी ताज़ा हो
की चेहरे पे हँसी और आँखों में नमी लाये
दिल में अजब सी बेचैनी के साथ
एक अलग सा सुकून लाये
वो पल भले ही हकीकत से हार गए
पर यादों के ज़रिये खुशियां देकर
आज साबित कर गए की
हकीकत से भी ज़्यादा सच्चे है वो एहसास
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