वक़्त से पूछा मैंने,
"इतनी जल्दी में कहाँ निकले?"
वक़्त पलट कर बोला "ज़िन्दगी ने इशारा किया है,
बस उसी से कदम मिलाने भागे जा रहा हूँ |"
तो मैंने सोचा, चलो ज़िन्दगी से ही पूछ लेते है,
कि आखिर किस बात की इतनी जल्दी मची है |
ज़िन्दगी चलते हुए बोली "भई, मुझे ना कोई जल्दी|
सब किस्मत का खेल है,
बस उसी से कदम मिलाने भागे जा रहा हूँ |"
तो मैंने सोचा, चलो ज़िन्दगी से ही पूछ लेते है,
कि आखिर किस बात की इतनी जल्दी मची है |
ज़िन्दगी चलते हुए बोली "भई, मुझे ना कोई जल्दी|
सब किस्मत का खेल है,
उसी के कहने पे तो इशारा किया है मैंने"
जब किस्मत से जाकर पुछा
जब किस्मत से जाकर पुछा
कि आखिर माज़रा क्या है,
वो आराम से मुस्कुराते हुए बोली,
"कहाँ जल्दी करी मैंने,
वक़्त तो खूब सारा था तुम्हारे पास |
बस ज़िन्दगी ने कभी एहसास नहीं होने दिया तुम्हे ,
कि वक़्त निकलता जा रहा है हाथ से तुम्हारे ।
इसलिए जब भी तुमने पलकें उठाके देखा,
वक़्त और ज़िन्दगी को भागते हुए पाया |
और तुम शिकायत करते रहे दुनिया से
कि ये सब मेरा ही दोष है!
चलो, एक इलज़ाम और सही |
आखिर सब मेरा ही तो खेल है, क्यूँ ? है ना?"
वो आराम से मुस्कुराते हुए बोली,
"कहाँ जल्दी करी मैंने,
वक़्त तो खूब सारा था तुम्हारे पास |
बस ज़िन्दगी ने कभी एहसास नहीं होने दिया तुम्हे ,
कि वक़्त निकलता जा रहा है हाथ से तुम्हारे ।
इसलिए जब भी तुमने पलकें उठाके देखा,
वक़्त और ज़िन्दगी को भागते हुए पाया |
और तुम शिकायत करते रहे दुनिया से
कि ये सब मेरा ही दोष है!
चलो, एक इलज़ाम और सही |
आखिर सब मेरा ही तो खेल है, क्यूँ ? है ना?"
ये केहकर वो लेहराते हुए चल दी |
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