खुली दरीचे से
झांकती ये तनहा निगाहें है ,
ढूंढ़ती वो चेहरा जो कभी अनजान था |
ना खबर नाम की , ना कोई पेहचान
ना ही कभी राब्ता हुआ एक दुसरे से |
पर हर दिन, इसी वक़्त,
वो गुज़रता इस गली से है |
भीड़ में चलते, वो बस दो पल के लिए ठहरता है |
उसकी नज़रें बस पल भर के लिए उठती है ,
और घंटों भर की बातें कर जाती है ,
मानो जैसे कोई गेहरा रिश्ता है उस से |
अजनबी ही सही, पर दिल को छू जाता है |
इस पलभर की मुलाक़ात में ,
इन नैनों की गुफ्तगू में ,
एक उम्मीद एक एहसास एक ख़ुशी है ,
वरना ये ज़िन्दगी तो यूँही बेजान सी कट रही थी |
और ऐसे लिख लिया हमने,
ये गुमनाम प्रेम कहानी, अपनी ज़िन्दगी के पन्नो में |
अब वो चेहरा अनजान नहीं,
कुछ ऐसी आदत सी हो गयी है उसकी अब ,
कि रोज़ इसी वक़्त,
खुली दरीचे से,
इंतज़ार उन निगाहों की रेहती है |
-सरिता
27th January 2020
झांकती ये तनहा निगाहें है ,
ढूंढ़ती वो चेहरा जो कभी अनजान था |
ना खबर नाम की , ना कोई पेहचान
ना ही कभी राब्ता हुआ एक दुसरे से |
पर हर दिन, इसी वक़्त,
वो गुज़रता इस गली से है |
भीड़ में चलते, वो बस दो पल के लिए ठहरता है |
उसकी नज़रें बस पल भर के लिए उठती है ,
और घंटों भर की बातें कर जाती है ,
मानो जैसे कोई गेहरा रिश्ता है उस से |
अजनबी ही सही, पर दिल को छू जाता है |
इस पलभर की मुलाक़ात में ,
इन नैनों की गुफ्तगू में ,
एक उम्मीद एक एहसास एक ख़ुशी है ,
वरना ये ज़िन्दगी तो यूँही बेजान सी कट रही थी |
और ऐसे लिख लिया हमने,
ये गुमनाम प्रेम कहानी, अपनी ज़िन्दगी के पन्नो में |
अब वो चेहरा अनजान नहीं,
कुछ ऐसी आदत सी हो गयी है उसकी अब ,
कि रोज़ इसी वक़्त,
खुली दरीचे से,
इंतज़ार उन निगाहों की रेहती है |
-सरिता
27th January 2020
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